google doodle hamida bano: आज गूगल भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान हमीदा बानो का जश्न मना रहा है। बेंगलुरु की कलाकार दिव्या नेगी के डूडल में सुश्री बानू को स्थानीय वनस्पतियों और जानवरों से घिरा हुआ दिखाया गया है। यह 1940 और 50 के दशक में पुरुष-प्रधान खेलों में महिलाओं के प्रवेश की भी याद दिलाता है।
गूगल डूडल के विवरण में लिखा है: “यह डूडल भारतीय पहलवान हमीदा बानो का जश्न मनाता है, जिन्हें भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान माना जाता है।
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हमीदा बानो आज क्यों सम्मानित कर रहा है Google?
हमीदा बानो का जन्म 1900 के प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ क्षेत्र में हुआ था। उन्हें भारत की पहली महिला पहलवान माना जाता है। 1940 और 1950 के दशक के अपने करियर के दौरान, सुश्री बानू ने 300 से अधिक प्रतियोगिताएँ जीतीं।
चूंकि श्रीमती बानू ने 1954 में इसी दिन प्रसिद्ध पहलवान बाबा पहलवान का सामना किया था और उन्हें हराया था, इसलिए उनके सम्मान में 4 मई का दिन चुना गया। इसके बाद उन्होंने प्रोफेशनल रेसलिंग छोड़ दी।
गूगल ने कहा, “1954 में आज ही के दिन, बानू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रशंसा दिलाने वाले कुश्ती मैच के बारे में बताया गया था – उन्होंने महान पहलवान बाबा पहलवान को केवल 1 मिनट और 34 सेकंड में हरा दिया था, जिसके बाद उन्होंने पेशेवर कुश्ती से संन्यास ले लिया।
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आज से 75 साल पहले एक महिला ने अपने बुलंद इरादों और कसरती डो पीच से शक्स दी थी मर्दों के पहलवानी के अखाड़े में उसे अकेली महिला ने चुन चुन कर मर्दों को चित किया था उसे महिला पहलवान का खौफ उसे वक्त के नामी पहलवानों के सर चढ़कर बोलना था मर्द उसे महिला पहलवान की चुनौती को स्वीकार करने से बचते थे उसे महिला पहलवान का नाम था हमीदा बानो
1950 का जब भारत में महिलाओं का कुश्ती लड़ना किसी अजूबे से कम नहीं था उसे दूर में हमीदा बानो ने मर्द पहलवानों के सामने एक चुनौती राखी 32 वर्षीय इस महिला पहलवान हमीदा बानो ने ऐलान किया की जो भी मुझे दंगल में हर देगा वो मुझे शादी कर सकता है जिसने चुनौती स्वीकार की उन्हें हर मिली फरवरी 1954 से 2 मार्च पहलवान चैंपियंस जो की पटियाला और कोलकाता के थे
उन्हें हर कम देखना पड़ा इसके बाद से तो लोगों के बीच सनसनी फेल गई बडौदा में हुए तीसरी दंगल को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुड़नी रही लेकिन महल 1 मिनट 34 सेकंड में ही हमीदा बानो ने बाबा पहलवान को चित कर दिया हर के बाद हमीदा से शादी का सपना तो टूटा ही वही बाबा पहलवान ने तुरंत घोषणा कर दी की ये उनका आखरी मैच था
इसके साथ ही भारत की पहले महिला पेशेवर पहलवान के तोर पर मशहूर होने वाली ये साबित कर दिया की महिला कमजोर नहीं वो भी तब जब कुश्ती को खासतौर से मर्दों का खेल समझा जाता था अब हर किसी की जुबान पर एक ही नाम था हमीदा बानो हमीदा बानो आम लोगों में इतनी मशहूर हुई क्यों
उनकी रोजाना की खाने में 5.5 किलो दूध पन 3 किलो सूप लगभग 2.25 लीटर फलों का जूस एक मुर्गा लगभग 1 किलोमीटर 450 गा पखन छह अंडे लगभग 1 किलो बादाम दो बड़ी रोटि और दो बिरयानी की प्लान शामिल रहती थी मिर्जापुर में पैदा हुई हैबीदा को अलीगढ़ की अमेजॉन कहा जान लगा अमेजॉन अमेरिका की एक मशहूर पहलवान हुआ करती थी
और हमीदा बानो की उनसे तुलना की जा रही थी लेकिन समाज की रूढ़ि सोच के चलते उन्हें घर तक छोड़ना पड़ा इसके बाद वो अलीगढ़ चली आई और उन्होंने अलीगढ़ में सलाम नाम के एक पहलवान के उस्ताद में कुश्ती की ट्रेनिंग ली 1954 में उन्होंने दवा किया की वह अब तक अपने सभी 320 दंगल जीत चुकी हैं
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