Heatwave in India 2024

Indian cities are DYING with HEATWAVES

Heatwave in India 2024, हीट वेव्स की वजह से सैटेलाइट से देखा जाए तो भारत कुछ ऐसा दिखता है:- CLICK HERE

देश जल रहा है यानी अभी इसी क्षण सऊदी अरेबिया ओमान सूडान और अफ्रीका के कई सारे देशों से ज्यादा गर्म भारत है हीट वेव एक नेशनल इमरजेंसी है और अभी तो गर्मी बस शुरू ही हो रही है यह साल भारत का हॉटेस्ट समर होने वाला है आगे जाकर म के महीने में क्या होगा हम इमेजिन भी नहीं कर सकते दिल्ली जैसे शहरों में दिन में 47 डिग्री टेंप्रेचर हमें पिगला रहा है

पिछले 122 सालों में यह सबसे गर्म साल होने वाला सोचें अगर अप्रैल में यह हाल है तो मैं और जून में क्या होगा जब हमें टेंपरेचर कंट्रोल करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब पूरे देश में पावर कट हो रहे हैं सोचते है कि हम क्या कर सकते हैं हिस्ट्री में पहली बार भारत और पाकिस्तान दोनों एक बात पर ग्रीस कर सकते हैं कि गर्मी बहुत बड़ी चीज भी अपने दोनों ने शो को परेशान कर दिया

Heatwave in India 2024: लू क्या है?

अब पूरे वर्ल्ड में सबसे ज्यादा टेंप्रेचर भारत और पाकिस्तान के कुछ शहरों में रिकॉर्ड है और यह बात हम सबके लिए डेंजरस लेकिन हीट वेव होती क्या जब नार्मल टेंपरेचर से 4.5 डिग्री ज्यादा गर्मी होती है तभी हीट वेव डिक्लेअर होता है इस बार टेंप्रेचर 6.5 डिग्री से ज्यादा है राजस्थान हरियाणा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ में बार-बार और एंजेला डिक्लेयर हो रहा है

लेकिन एक बार डिग्री टेंपरेचर बढ़ने से क्या फर्क पड़ता है हीट वेव डेंजरस क्यों है पिछले 20 सालों में वर्ल्ड मैं 166,000 लोक हिट के बजे से मरे हैं शिकागो में 1995 में हीट वेव ने 692 लोगों की जान ली थी और 3000 से ज्यादा लोगों को हॉस्पिटलाइज होना पड़ा था जो लोग हॉस्पिटलाइज्ड हुए थे उनमें से 1/3rd लोग हॉस्पिटलाइजेशन के बाद एक साल में गुजर गए

2015 में भारत में भी ऐसी है कि वे में 2500 लोगों की जान ली हीट वेव कोई जोक नहीं भारत में कई लोग कड़ी धूप में काम करते हैं और वह भी बिना किसी प्रोटेक्टिव गियर को रात को टेंप्रेचर कम होता है तो बॉडी को मौका मिलता है कूल डाउन करने लेकिन यह हीट वेव के दौरान बॉडी कूल डाउन नहीं कर पाते क्योंकि रात को भी टेंप्रेचर ज्यादा होता है

तनाव और लू लगना

Heatwave in India 2024
Heatwave in India 2024

हीट वेव होती क्यों है कई फैक्टर हो सकते हैं जियोग्राफिक फैक्टर्स लैक ऑफ़ फ्रेम फॉल्स यूजुअली मार्च के महीने में कुछ सीरियस में लाइट रेन फॉल होता है जिसकी वजह से एयर कूल डाउन होती है लेकिन इस बार मार्च में बिल्कुल बारिश नहीं हुई लेकिन सबसे बड़ा फैक्टर जो आने वाले समय में हीट वेव बढ़ाने वाला है वह है क्लाइमेट चेंज आज के समय में हीट वेब आने के चांसेस 30 गुना बढ़ गए

समाज में हीट बढ़ने की वजह से हम ऐसे ही चलाते हैं कूलर खरीद तक लेकिन ढेर सारी चीजों के लिए इलेक्ट्रिसिटी भी तो होनी चाहिए भारत में 75% इलेक्ट्रिसिटी कॉल से आती है 10 में से छह पावर प्लांट में कॉल क्रिटिकल लो लेवल तक पहुंच गया है रूस यूक्रेन वर के चलते दुनिया भर में एक एनर्जी क्राइसिस हो रहा है

जिसकी वजह से कॉल कि प्राइसेस यूजुअली 50 डॉलर तक की टर्न होते हैं वह अब 225 डॉलर पर टर्न तक बढ़ गए हैं तो बेसिकली हमारा देश इलेक्ट्रिसिटी के लिए पहले से पांच गुना ज्यादा पे कर रहा है आज भारत पिछले 6 सालों में सबसे ज्यादा पावर कट फेस कर रहा है गर्मी जब तक पसीने छुड़वा रही है तब तक ठीक है लेकिन जब घर में ऐसे आग लगाती है तब पड़ा प्रॉब्लम आज भी कई शहरों में वेस्ट एग्रीगेशन के लिए प्रॉपर हूं नहीं

भारत में गर्मी का प्रकोप

Heatwave in India 2024
Heatwave in India 2024

जब हम वेस्ट जैसे बचा हुआ खाना फल-सब्जी बेचने में बिना एग्रीगेशन के फेंकते हैं तब यह चीज मिथेन रिलीज करती है तपता सूरज इस मीथेन को आग लगा देता है हमारी और हमारी म्युनिसिपल बॉडीज की इंफेक्शन की वजह से हमारा शहर जलता है और उसका धुआं फिर हमें ही खाने दौड़ता है ऐसे ही कहानियां अपने आपके शहर के बारे में आज या कल सुनी ही होगी दिल्ली के फायर से फायर नहीं एक सिग्नल है एक वेक अप कॉल है

अब बात करने का टाइम चला गया अब ऐक्शन लेने का समय आ गया है सोचने जैसे बात आप और हम जैसे लोग प्रे भिलेज़ है हम एक बटन से AC चलाते हैं गर्मियों में हिल स्टेशन जाता है अगर गर्मी ज्यादा हो तो नींबू पानी पीते हैं लेकिन उन लोगों का क्या हुई अफोर्ड नहीं कर सकते इंसानों का छोड़िए उन पेड़ों का क्या जो पूरा दिन गर्मी में बिताते हैं उन पंछियों का क्या जो गर्मी के वजह से उड़ नहीं पाते क्लाइमेट चेंज फिर दरवाज़े पर दस्तक नहीं दे रहा है

दरवाजा तोड़कर अंदर आ रहा है यूरोप और अमेरिका ने जिस तरह पिछले सेंचुरी में पूरी दुनिया का इस्तेमाल किया है उसका भुगतान हम सबको आज देना पड़ रहा है भारत जैसे कौशल देश पर जहां आज भी एग्रीकल्चर कई लोगों की रोजी-रोटी है जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और अधिक गंभीर होने वाला है तो हम क्या कर सकते हैं हमें जलवायु परिवर्तन को हराना होगा क्लाइमेट चेंज यह शब्द सुनकर डर लगता है

ऐसा लगता है कि हम कुछ भी करेंगे तो वह सफ्फिसेंट कैसे होगा हर साल 120 गीगाटन कार्बन हमारे एटमॉस्फेयर में जाता है और एक्जिस्टिंग पैड 120 गीगाटन कार्बन अब जब कर सकते हैं यानी हमारी दुनिया एक परफेक्ट बैलेंस में है लेकिन पिछले 200 सालों में हमने 10 से 20 गीगाटन अतिरिक्त कार्बन का उत्पादन शुरू कर दिया है हमारे कार्स Industries फूड हैबिट यह सारी बातें रिस्पांसिबल है अ

सली प्रॉब्लम यह है कि इसे अब जब करने के लिए हमने कोई सलूशन ढूंढा नहीं क्योंकि यह पेड़ हमारा और हमारे फ्यूचर जेनरेशंस का कारण बन अब जब करता है आप और मैं मिलकर शहद एक ट्रेल एंट्रीज नहीं लगा सकते लेकिन एक पेड़ तो लगा सकते

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