History of Republic Day of India

History of Republic Day of India

History of Republic Day of India, Story Of Indian Republic Day

History of Republic Day of India
History of Republic Day of India:-

History of Republic Day of India: आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं भारत अपना 75 वा गणतंत्र दिवस मना रहा है 26जनवरी 2022 को लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर हमारा गणतंत्र दिवस 26th जनवरी को ही क्यों आता है देश आजाद हुआ था 15 अगस्त को संविधान लागू हुआ था छब्बीस नवंबर को लेकिन गणतंत्र दिवस की तारीख 26 जन्वरी क्यों है तो आइए इसी की कहानी आज हम जानेंगे कि आखिर इस रेड के पीछे का इतिहास क्या है कौन सी वह घटना थी हमारे आजादी के आंदोलन में जिसने इस डेट को हमारे इतिहास में एक इंपोर्टेंट पड़ाव बना दिया

भारत को 15 अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस के आजादी

भारत को पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस के दिन आजादी तो मिल गई लेकिन भारत में उसके बाद भी कुछ समय तक हेड आफ स्टेट गवर्नर-जनरल हुआ करता था अब गवर्नर जनरल का पद ब्रिटिश कालीन था एक साल के लिए उस पद पर माउंटबेटन ही था और उसके बाद में सी राजगोपालाचारी जी बने थे

भारत के गवर्नर-जनरल तो ऐसा नहीं है कि भारत में ब्रिटिश शासन चल रहा था ब्रिटिश पार्लियामेंट भारत के लिए कोई कानून नहीं बना सकती थी लेकिन अगले ढाई सालों तक भारत का हेड आफ स्टेट ब्रिटिश मोनार्क ही था अब यहां पर इस बात को समझ गए कि ब्रिटिश मोनार्क के पास कोई असीम शक्तियां नहीं है भारत के लिए ही राज नॉमिनल प्रोस्टेट जैसे आज के समय भारत में राष्ट्रपति है डस्ट है उनके पास भी कोई ट्रू पावर नहीं है

वैसे बहुत सारी पॉवर से क्वालिटी के अंदर आप पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि राष्ट्रपति के पास कितनी सारी शक्तियां हैं लेकिन इन पॉलीटिकल एग्जीक्यूटिव के पॉइंट यह बात करें तो भारत के अंदर ज्यादा शक्तियां प्राइम मिनिस्टर ऑफिस के पास हैं यह बात आप सभी जानते होंगे समझते होंगे तो भारत की आजादी के ढाई साल तक प्रदेश में हेड आफ स्टेट फॉर द ब्रिटिश मोनार्क लेकिन छब्बीस जनवरी के दिन यह सब कुछ बदल जाता है 1950 में हमारा संविधान लागू किया जाता है इंडिया बेलकम्स ए रिपब्लिक डे रिपब्लिक डे गणतंत्र हम बनते हैं हमारे जो सेट अप चुने जाएंगे हेड आफ स्टेट राजा का बेटा राजा नहीं होगा बल्कि प्रेसिडेंट इलेक्ट किया जाएगा

अब अगर आप हमारा प्रेम व लेते हैं जो संविधान के बिल्कुल शुरुआत में है तो उसमें भी संविधान को ऑडिट करने की डेट छब्बीस नवंबर 1969 बताई गई है तो इस दिन संविधान लागू क्यों नहीं हुआ इस दिन लाखो इसलिए नहीं किया गया क्योंकि 2 महीने बाद आ रही थी 26 जनवरी की और 26 जनवरी भारत के आजादी के आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीखें कैसे 1927 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में साइमन कमीशन भेजा इसका ऑफिशल आफ इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन और इसके अध्यक्ष थे जॉन साइमन उन्हीं के नाम के पीछे इसको साइमन कमीशन कहा जाता है

History of Republic Day of India

कमीशन का मकसद यह था कि भारत में संवैधानिक बदलाव किस तरह से किए जाएंगे इसके बारे में एक फ्रेम वर्क बनाया जाए साइमन कमीशन कोई देखना था कि 1919 में हुए मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड रिफॉर्म्स किस तरह से काम कर रहे हैं और भविष्य में उन्हें क्या बदलाव लाने की आवश्यकता होगी साइमन कमीशन में कोई भारतीय सदस्य नहीं था तो भारत के लोग इससे काफी नाराज से इंडियंस के खिलाफ हर जगह पर टेस्ट किया साइमन कोवेल का नारा दिया गया में साइमन कमीशन के विरोध को देखते हुए इंग्लैंड में भारतीय मामलों के मंत्री विलियम हेग ने यह चैलेंज सामने रखा देश के कि आपको लगता है कि साइमन कमीशन नहीं

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History of Republic Day of India: इंडियन नेशनल कांग्रेस 1928

 

आप संविधान बना सकते हो अपने देश का पर काम कीजिए आपको प्रेम व बनाइए हम चैलेंज देते हैं भारत की सभी पॉलीटिकल पार्टीज को कि आप हिंदू मुस्लिम सिख सब एग्जाम में रखते हुए सभी कम्युनिटीज को ध्यान में रखते हुए सबकी सहमति से अपना खुद का सविधान का रास्ता बताएं करिए आप अपना प्रेम व बनाकर हमें दीजिए हम देखते हैं कि आप आपस में झगड़ने बैठ जाते हैं या फिर बना पाते हैं नहीं तो इस चैलेंज को भारतीय पॉलीटिकल पार्टीज में स्वीकार किया ऑल पार्टीज कॉन्फ्रेंस बनाई गई जिसमें सबसे बड़ी पार्टी फॉर थे इंडियन नेशनल कांग्रेस की फरवरी 1928 में इन्होंने अपनी मुलाकात खरीद

और मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया इस कमेटी को यह टॉस दिया गया कि आप फ्रेमवर्क तैयार करें और कि भारत में आगे कॉन्स्टिट्यूशन चेंजेस किस प्रकार से देंगे इस कमेटी ने जो रिपोर्ट बनाई उसका नाम है नेहरू रिपोर्ट तो यह कौन से नए हुए मोती लाल नेहरू वह इस द फादर ऑफ और फर्स्ट प्राइम मिनिस्टर जवाहरलाल नेहरू यह भी कांग्रेस के सीनियर नेता मेह अब मोती लाल नेहरू और उनकी रिपोर्ट में ब्रिटिश सरकार के समक्ष डिमांड रखी गई डोमिनियन स्टेटस की तो डोमिनियन स्टेटस जैसा उस वक्त ऑस्ट्रेलिया कनाडा को दे दिया गया था वैसा ही डोमिनियन स्टेटस भारत को भी लिया जाए डोमिनियन एक ऐसा स्टेटस होगा

जहां पर भारत के पास कुछ मामलों में श्वेता होगी लेकिन कुछ मामलों में श्वेता नहीं भी होगी और ब्रिटिश एंपायर से जुड़े रहेंगे यानी कि ओवरऑल है डोंट ब्रिटिश मोनार्की रहेगा इंटरनल गवर्नमेंट सारी हमारे लोगों के हाथ में आ जाती लेकिन जैसे फॉरेन रिलेशंस या फिर आर्मी जैसे इंपोर्टेंट डिविजंस है वह ब्रिटिश गवर्मेंट के द्वारा ही लिए जाते थे या यह जाएंगे ऐसा डोमिनियन स्टेटस में होता अब डोमिनियन स्टेटस की डिमांड कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मोतीलाल नेहरू जैसे नेताओं ने तो रख दी लेकिन कांग्रेस के जवान ने था उस समय की जवां नेता जैसे कि जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस इससे बिल्कुल भी खुश नहीं थे

उन्होंने कहा कि हमें डोमिनेंट चाहिए ही नहीं हमें तो पूर्ण स्वराज चाहिए कंपलीट इंडिपेंडेंस चाहिए अगर हम डोमिनेंट पर रुपए तो हमें पूरी आ रही पचास-साठ साल तक शायद नहीं मिलेगी यह बात तुमको समझ में आ गई थी तो कांग्रेस के जवान नेता लेट बाय नेहरू एंड मोस्ट इन्होंने अपनी एक अलग पार्टी सबमिट कर ली इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग तो यह कांग्रेस के अंदर ही एक प्रकार का अलग संगठनों ने स्थापित किया

और इनकी डिमांड यह थी यह प्रेशराइज कर रहे थे कांग्रेस की सीटें लीडरशिप को कि आप 2 मिनट स्टेटस नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज की डिमांड करो जब नेहरू रे अपने डोमिनियन स्टेटस की डिमांड करी तो अंग्रेजी सरकार के लिए काफी आसान था

उन्होंने कहा ठीक है डोमिनेंट सेट कर देना है देंगे कब देंगे तारीख नहीं बताई गई बैठक की वेंचुरी आपको डोमिनेटेड एरिया का यह वादा भारत में उस समय के वाइसरॉय अरविंद ने कर दिया तो अरविंद यह घोषणा दीवाली 1969 के आसपास करी जाती है समटाइम 90 तो इसको दिवाली डेकोरेशन भी कहते हैं एग्जाम पॉइंट ऑफ व्यू से बहुत इंपोर्टेंट है डाइरैक्टली यूपीएससी प्रीलिम्स पर सवाल आ सकता है इसे याद रखिएगा ऐड करके रखिएगा अब डोमिनियन स्टेटस की घोषणा तो कर दी अरविंद है लेकिन इसी बीच क्या होता है कि इंग्लैंड में सरकार बदल जाती है

अब पावर में के कंजरवेटिव पार्टी और वह भारत को डोमिनियन स्टेटस या किसी भी प्रकार की आजादी देने के फेवर में नहीं थी वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि भारत थोड़ा-बहुत डोमिनियन स्टेटस है तथा हासिल कर ले तो इन्होंने वादा खिलाफी कर दी इसके कारण अरविंद के भी अब हाथ बंधे थे तो भारत में वापिस वो अपने स्तर पर तो आज़ादी दे नहीं सकता है 2 मिनट दे नहीं सकता वह ब्रिटिश सरकार का फैसला था तो अरविंद को अपने वादे पर कॉल करना पड़ा

और कांग्रेस अब बिल्कुल खुश नहीं है कांग्रेस ने कहा कि तो हम आपसे डोमिनियन स्टेटस मैं जो थोड़ी ठीक-ठाक डिमांड पूरी आजादी नहीं मांग रहे अपने रिलेटिव्स ऑस्ट्रेलिया कनाडा को दे दिया है यह स्टेटस और हमें देने से यह मना कर रहे हो तो कांग्रेस के नेता इस से काफी नाराज हो जाते हैं और अब मोतीलाल नेहरू जैसे पुराने नेता नहीं बल्कि सुभाष बोस और जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में नए नेता कांग्रेस का जो यह जवान खून है यह थोड़ा सा उत्तेजित हो जाता है

31 दिसंबर 1979 को पूर्ण स्वराज अधिवेशन

और कहता है कि अब हम डोमिनियन स्टेटस डिमांड हटाते हैं लेटेस्ट फॉर पूर्ण स्वराज पूरी आजादी डिमांड करते हैं दिसंबर 1969 में कांग्रेस का शासन होता है लाहौर में कांग्रेस के सेक्शन अक्षर दिसंबर के आखिरी हफ्ते में हुआ करते थे इस लाहौर सेशन में भी 31 दिसंबर 1979 को पूर्ण स्वराज अधिवेशन के बारे में बात कही जाती है पूर्ण स्वराज्य सलूशन पास किया जाता है तो यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव था कांग्रेस के सफर में

क्योंकि पिछले 30 साल से पार्टी केवल डोमिनियन स्टेटस या फिर स्वराज की डिमांड कर रही थी अब पूर्ण स्वराज की डिमांड कर रही है और इसके साथ ही यह भी तय किया कि राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस जो कि कुछ महीने बाद होने वाली थी उसमें हम हिस्सा नहीं लेंगे

और अब जरुरत नहीं मिलता तो सिविल डिसऑबेडिएंस लांच किया जाएगा 31 दिसंबर की रात को कांग्रेस के सभी नेता रवि नदी के तट पर जाते हैं कि टूटी हुई उस सर्दियों की रात में नदी का पानी अपने हाथ में लेकर प्रतिज्ञा लेते हैं कि जब तक हम देश को आजाद नहीं कर देते तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे तो इस प्रतिक्रिया के साथ 31 दिसंबर को यह सेक्शन समाप्त होता है लेकिन 31 दिसंबर पूर्ण स्वराज डे नहीं है कारण क्या है कि देखें ग्रेजुएशन तो पास हो गया कांग्रेस का शासन समाप्त हो गया लेकिन कुछ दिन का समय उन्होंने दिया

तो वह सब जिन्होंने कैलकुलेट करके छब्बीस जनवरी की तारीख तय करेगी कि छबीस जनवरी को हम देश भर में कार्यक्रम बनेंगे तब तक यह सब जगह इन्फॉर्मेशन भी पहुंच जाती है देश के हर शहर में कि आपको छबीस जनवरी को इंडिपेंडेंस डे के रूप में बनाना है तो 31 दिसंबर को उन्होंने यह लाइक जो मोडिफाइड रूप में आज इंडिया का फ्लैग है इसे फहराया इंकलाब जिंदाबाद के नारों के साथ रात को यह झंडा फहराया गया था मिडनाइट पर रावी नदी के किनारे स्थित जैसा कि कांग्रेस अधिवेशन में तय किया गया था छब्बीस जनवरी को पूरे देश में पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया

सरकार को अल्टीमेटम दिया गया कि मार्च तक अब हमें आज़ादी दे दो नहीं तो हम सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट करेंगे को लॉन्च कर दिया गया और 1930 के बाद हर साल कांग्रेस छब्बीस जनवरी को आजादी दिवस के रूप में या पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाती आई थी और 1947 में जब देश को आजादी मिलने वाली थी तो पहले ऐसा लग रहा था कि शायद 1948 जनवरी में शादी मिलेगी लेकिन फिर कुछ कारणों से आजादी को थोड़ा सा प्रीपोनड कर दिया गया

तो 15 अगस्त डेट तय कर ली गई आजादी की और इस दिन के बाद से वायसराय ऑफिस खत्म हो गया लेकिन गवर्नर जनरल का ऑफिस बना रहता है तो भारत और पाकिस्तान दोनों डोमिनेंट के लिए गवर्नर जनरल का ऑफिस बना रहा और गवर्नर जनरल के पद पर जो व्यक्ति नियुक्त होगा वह ब्रिटिश राज्य के द्वारा नियुक्त किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं कि ब्रिटिश राज अपनी मर्जी से किसी को भी म्यूट कर सकता है

History of Republic Day of India: प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1948

तो जैसे राजा जी को अपॉइंट किया गवर्नर-जनरल 1948 में तो उसके लिए हमारे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चिट्ठी लिखी थी ब्रिटिश राजा को कि हमारा यानी कि भारतीय मंत्रिपरिषद का मानना है कि राजगोपालाचारी को हमारा गवर्नर-जनरल बनाना चाहिए और इस पर ब्रिटिश राजा ने अपनी मुहर लगा दी वह ब्रिटेन के राजा को साइन करने का अधिकार तो था लेकिन इंडिपेंडेंस एक्ट ऑफ 1947 में यह बात साफ लिखी गई थी कि ब्रिटिश सरकार या ब्रिटिश राजा कि भारत और पाकिस्तान की सरकारों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होगी

तो यहां पर ब्रिटिश राज अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सके कि हाउ टू फाइंड व्हाट एवर थे इंडियन केबिनेट सेंटेंस इंडिपेंडेंस आफ इंडिया इन यह भी कहा था कि भारत और पाकिस्तान अपनी-अपनी संविधान सभा इन बनाएंगे और अपना संविधान खुद लिखेंगे और उसको ऐड करेंगे अब कोर्स यह प्रोसेस लंबा होता है इसमें दो-तीन साल का समय लग जाता है कई दोस्तों दस दस सालों से अपना संविधान लिख रहे थे लेकिन भारत में यह काम 2 साल 3 साल के अंदर पूरा कर लिया छब्बीस नवंबर 1969 आज के दिन हमारा संविधान पूरा तैयार था युद्ध का एक फोटोग्राफ है

और तक सब टैबलेट के सदस्य थे उन्होंने कहा कि देखो छब्बीस जनवरी के डेट आने ही वाली है हम पिछले 20 साल से छबीस जनवरी को पूर्ण स्वराज के रूप में मना रहे हैं ठीक है आजादी 15 अगस्त को मिल गई लेकिन कम से कम है संविधान को तो छबीस जनवरी के दिन रुका करते हैं तो यह तय किया जाता है कि छब्बीस जनवरी को ही पूरा संविधान लागू होगा लेकिन एक बात याद रखिएगा कि संविधान के कुछ प्रावधान कुछ आर्टिकल्स 26नवंबर ही लाखों गए थे खास करके जो सिटीजनशिप इलेक्शंस प्रोफेशनल पार्लियामेंट

और ट्रांसलेशनल पॉवर से संबंधित थे वह सभी युद्ध उस दिन लागू हो गए थे और पूरा संविधान 26जनवरी 1950 को लागू होता है आपको बता दूं कि रिपब्लिक डे परेड का जो ट्रेडीशन हमने सौवीट यूनियन से काइंड ऑफ़ इंस्पायर होकर डोंट किया था कि वह सॉफ्ट यूनियन में इस तरह एक बड़ी पड़ती थी उनके स्थापना दिवस के दिन तो छब्बीस जनवरी का यह दिन जो पहले पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाता था 1950 से यह बन गया गणतंत्र दिवस

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