Contents
Mystery of Subhash Chandra Bose’s Death | Subhas Chandra Bose Jayanti
Netaji Subhas Chandra Bose: जी ने देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई इसके बारे में देश के हर युवा को पता होना चाहिए सुभाष चंद्र बोस बायोग्राफी 23 जनवरी 1817 से 18 अगस्त 1945 तक सुभाष चंद्र बोस जिन्हें लोक प्रिय रूप से नेताजी के नाम से जाना जाता है एक भारतीय राष्ट्रवादी थे जिनकी भारत में ब्रिटिश सत्ता की अवज्ञा ने उन्हें कई भारतीयों के बीच नायक बना दिया लेकिन नाजी जर्मनी और इंपीरियल जापान के साथ उनके युद्ध कालीन गठबंधन ने एक विरासत छोड़ दी
सुभाष चंद्र बोस जैसे महान वर स्वतंत्रता सेनानी का जीवन काफी गर्व की बात है उनकी कठोर दृढ़ता अद्भुत योग दान और अद्वितीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका ने भारतीय इतिहास को चमकाया है उनके जीवन का इतना महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हुए भी कई लोग उनकी प्रेरणादाई कहानी और महत्त्वपूर्ण तथ्यों के बारे में कम जानते हैं इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको सुभाष चंद्र बोस के बारे में संक्षेप में बताएंगे
Subhas Chandra Bose जी का जन्म शुरुआती जीवन
सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म प्रभा बसनी दत्त और जानकीनाथ बोस के घर 23 जनवरी 1897 में हुआ था जो आज भारत में ओड़ीशा राज्य है लेकिन तब ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रांत का उड़ीसा डिवीजन था प्रभावती या परिचित रूप से मां जन्नी शाब्दिक अर्थ मां जो पारिवारिक जीवन की सूत्रधार है पहला बच्चा 14 साल की उम्र में हुआ और उसके बाद 13 बच्चे हुए सुभाष नौवी संतान और छठे पुत्र थे जानकीनाथ एक सफल वकील और सरकारी वकील ब्रिटिश भारत की सरकार के प्रति वफादार थे
और भाषा और कानून के मामलों के प्रति ईमानदार थे बोस की शिक्षा कटक के प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुई वह एक मेधावी छात्र थे और उन्हें कैंब्रिज में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी कैंब्रिज से स्नातक होने के बाद सुभाष चंद्र बोस जी भारत लौट आए और भारतीय सिविल सेवा में शामिल हो गए हालांकि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने 1921 में आईसीएस से इस्तीफा दे दिया
Subhas Chandra Bose का राजनैतिक जीवन
सुभाष चंद्र बोस का राजनैतिक जीवन व्यापक और संघर्ष पूर्ण था उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने दृढ़ संकल्प के साथ देश के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी यहां कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं को देखा जा सकता है जिनमें सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रमुखता दिखाई
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
सुभाष चंद्र बोस ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में की उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अपना सहयोग दिया और स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई उन्हें नेतृत्व का भूमिका सौंपी गई और उन्होंने कई राष्ट्रीय आंदोलनों को संगठित किया नेतृत्व संघ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1929 में सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस की नेतृत्व से इस्तीफा देकर नेतृत्व संघ फॉरवर्ड ब्लॉक नामक एक अलग संगठन की स्थापना की उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए इस संगठन का नेतृत्व किया और विभाजन के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत किया
आजाद हिंद फौज
सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना की स्थापना की जिसे आजाद हिंद फौज के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने जर्मनी और जापान में अपने समर्थकों के साथ मिलकर इस सेना को संगठित किया और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी
Netaji Subhas Chandra Bose
बोस एक महान राष्ट्र नेता सुभाष चंद्र बोस को नेता जी के नाम से भी जाना जाता है जो उनके नेतृत्व को मार्क ऑफ गरिमा देता है उन्होंने देश को आजादी की लड़ाई में प्रेरित किया और भारतीयों को एकजुट करके ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित किया सुभाष चंद्र बोस का राजनैतिक जीवन उनकी प्रेरणा साहस और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में मान्य है उनके कार्यों ने देश की स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें एक महान राष्ट्र नेता के रूप में पहचाना जाता है
Subhas Chandra Bose इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना
सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना की जिसे आईएएनए के रूप में भी जाना जाता है इससे पहले वे सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन ब्रिटिश सरकार की क्रूर नीतियों के कारण उनकी आस्था में अस्थिरता आई इसलिए सुभाष चंद्र बोस जी ने 1941 में जापानी सरकार से सहयोग मांगने
और जापान की मदद से आजादी की लड़ाई आगे बढ़ाने का फैसला किया जापानी सरकार ने उनकी मदद की और उन्हें योहा शमा आज के मेरस में आजाद हिंद फौज की स्थापना करने की अनुमति दी इसमें भारतीय युवाओं का समर्थन था और यह फौज ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हुई सुभाष चंद्र बोस ने इसे इंडियन नेशनल आर्मी के नाम से पुनर्निर्माण किया
म्यांमार में ब्रिटिश सेना के खिलाफ अहम युद्ध किया
सुभाष चंद्र बोस नेतृत्व में आईएएनए ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई इसे आधिकार तौर पर आर्मी मान्यता प्राप्त नहीं हुई लेकिन इसका गहरा प्रभाव भारतीयों में महसूस हुआ और इंडियन नेशनल आर्मी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक माना गया
Subhas Chandra Bose जयंती
सुभाष चंद्र बोस जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है यह जयंती उनके जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है और भारतीयों द्वारा उनकी महानता और योगदान को स्मरण करने का एक अवसर प्रदान करती है एक राष्ट्रीय त्यौहार है और देश भर में विभिन्न कार्यक्रम और आयोजनों के माध्यम से मनाया जाता है सुभाष चंद्र बोस जयंती पर भारतीयों द्वारा उनके जीवन कर्म और विचारों को याद किया जाता है विभिन्न स्कूलों कॉलेजों सामाजिक संगठनों और सरकारी अधिकारियों द्वारा सेमिनार संगोष्ठी कार्यशाला और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर लोग उनकी भावनाओं स्वतंत्रता के प्रति उनकी अटूट संकल्प और देश सेवा के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं यह एक महत्त्वपूर्ण अवसर है जब लोग उनकी जीवन दर्शन दृढ़ संकल्प और वीरता को अपने जीवन में प्रेरणा के रूप में लाने का प्रयास करते हैं सुभाष चंद्र बोस जयंती देश के विभिन्न हिस्सों में भारतीयों के बीच एकता का संकेत है और उनकी याद में अनेकों लोगों द्वारा देश सेवा और विचारों के प्रति प्रतिबद्धता का वचन लिया जाता है
Netaji Subhas Chandra Bose की मृत्यु
द्वितीय विश्व युद्ध में INA ने जापानियों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी हालांकि 1945 में INA को अंग्रेजों ने हरा दिया था माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई उनकी मृत्यु हादसे में हुई जब वह बर्मा म्यांमार में हादसे के बाद आयुध के प्रभाव से घायल हो गए उन्हें तब जर्मनी के राष्ट्रीय सोशलिस्ट पार्टी के नेता ने चिकित्त्सा के लिए तोय हाशिमा स्थित एक अस्पताल में भेजा जहां उनकी मृत्यु हो गई
इसके बाद उनका शव संगठन के द्वारा संजना की गई और उनके अवशेषों का आदान प्रदान किया गया सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु एक विषम संदर्भ थी और उनकी मौत के आसपास कई विवाद उठे हैं कुछ लोग इसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसा मानते हैं जबकि अन्य लोग संदेह व्यक्त करते हैं कि क्या उनकी मृत्यु वास्तविकता में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी या किसी अन्य कारण से हुई इन विवादों के बावजूद सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु एक आजादी संग्राम के महान नेता की मृत्यु के रूप में मान्यता प्राप्त है
सुभाष चंद्र बोस द्वारा लिखी हुई किताबें
सुभाष चंद्र बोस जितने कुशल नेतृत्व करने में सक्षम थे उतना ही विचारों को कलम द्वारा प्रकट करने की कला भी उनमें थी लून के द्वारा लिखी गई कुछ किताबों का विवरण द इंडियन स्ट्रगल 1920 45 एन इंडियन पिलग्रिम कांग्रेस प्रेसिडेंट आजाद हिंड राइटिंग एंड स्पीस एसेंशियल राइटिंग ऑफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस अल्टरनेटिव लीडरशिप द कॉल ऑफ द मदरलैंड लेटर्स टू एमिली शेंकल इत्यादि
पराक्रम दिवस
23 जनवरी 2024 को 127 वं जन्मतिथि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर दिल्ली के लाल किले में ऐतिहासिक प्रतिबिंब और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को एक साथ जोड़ते हुए एक बहुमुखी उत्सव मनाया जाने वाला है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जनवरी की शाम को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और जश्न 31 जनवरी तक चलेगा
यह कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एनएसडी साहित्य अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के सहयोग से आयोजित किया जाता है कार्यक्रम के हिस्से के रूप में यह कार्यक्रम गतिविधियों की एक समृद्ध श्रृंखला की मेजबानी करेगा जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की गहन विरासत को उजागर करेगी आशा है आपको सुभाष चंद्र बोस जी की जीवनी पसंद आई होगी और काफी कुछ सीखने को मिला होगा
यह भी पढ़ें:
1 thought on “23 January Netaji Subhas Chandra Bose 127th Birth anniversary | Mystery of Subhash Chandra Bose’s Death”