Mahatma Gandhi Death Anniversary
Mahatma Gandhi: की 76 वं पुन्य तिथि और आज दिल्ली की अगर बात करें तो राजघाट पर कार्यक्रम होगा प्रधानमंत्री मोदी भी इसमें शामिल होने वाले हैं पुष्पांजलि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी नजर आएंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू भी अर्पित करेंगे पुष्पांजलि तो आपको बता दें कि आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भी कई बड़े नेता इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं राजघाट पर कार्यक्रम होगा आज दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी पुष्प अंजलि अर्पित करेंगे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्गू भी होंगे शामिल और ऐसे में देखना होगा कि देखिए महात्मा गांधी की इस क्वी पुण्यतिथि में और कौन-कौन शामिल होता है
क्योंकि अगर हम बात करें तो केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भी जो मंत्रिमंडल में तमाम मंत्री हैं वह शामिल होते हुए नजर आएंगे तो फिलहाल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री मोदी महात्मा गांधी की 76 वं पुण्य तिथि पर उनको पुष्पांजलि अर्पित करते हुए नजर आने वाले हैं और दिल्ली के राजघाट पर य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जैसे लाइव तस्वीर आएगी सबसे पहले 24 आप तक पहुंचाएगा आज बापू को पूरा देश याद कर रहा है उनके सिखाए मार्ग पर चलने की कोशिश पूरा देश कर रहा है और ऐसे में आज जब उनकी पुण्यतिथि है तो राजघाट पर कार्यक्रम होने वाला है जिसमें कि तमाम बड़े नेता शामिल होते हुए नजर आने वाले हैं
- हर साल 30 जनवरी को Mahatma Gandhi की पुण्य तिथि मनाई जाती है। उन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेता के रूप में सम्मानित किया जाता है और उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है।
- गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था।
- 1893 में, गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की जहां उन्होंने बाद में नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और वहां रहने वाले भारतीयों के अधिकारों की वकालत की।
- उन्होंने कई आश्रमों की शुरुआत की, जिनमें डरबन में फीनिक्स सेटलमेंट और जोहान्सबर्ग के पास टॉल्स्टॉय फार्म शामिल हैं।
- दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी की सक्रियता ने उनके अहिंसक प्रतिरोध या सत्याग्रह के दर्शन की नींव रखी।
- वह 1915 में भारत लौट आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और देश की आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया।
- गांधीजी ने विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें 1917 में चंपारण सत्याग्रह और 1930 में नमक मार्च शामिल था, जिसका उद्देश्य अहिंसक तरीकों से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को चुनौती देना था।
- अपने पूरे जीवन में, गांधी ने सामाजिक समानता और उत्पीड़ितों के उत्थान की वकालत की, अछूतों के कल्याण के प्रति उनके प्रयासों के लिए उन्हें “महात्मा” की उपाधि मिली, जिसका अर्थ है महान आत्मा, और “हरिजन”, जिसका अर्थ है भगवान के बच्चे।
- गांधीजी के अहिंसा और सविनय अवज्ञा के पालन ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया और उनके सिद्धांतों ने 1947 में भारत की अंतिम स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या के बावजूद, गांधी की विरासत विश्व स्तर पर शांति, न्याय और मानवाधिकारों के लिए आंदोलनों को प्रेरित करती रही है।
Mahatma Gandhi की पुण्यतिथि:
Mahatma Gandhi की पुण्य तिथि मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी क्षमता दुनिया को बदलना नहीं है बल्कि खुद को बदलना है यह कथन है महात्मा गांधी का हर साल 30 जनवरी को भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के नायक महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है इनका पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी है जिन्हें भारत के राष्ट्रपिता भी कहा जाता है इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था 1893 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुए और 1894 में यहां नेटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की इन्होंने दक्षिण अफ्रीका मेंदो आश्रम और डरबन में फीनिक्स आश्रम 1904 में
और जोहानसबर्ग में टॉल्स टॉय फार्म 1910 में स्थापना की थी दक्षिण अफ्रीका में इन्होंने इंडियन ओपिनियन नामक अखबार का प्रकाशन किया जनवरी 1915 में यह दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे इनका पहला सत्याग्रह बिहार के चंपारण में 1917 में हुआ मार्च 1930 में नमक कर के खिलाफ गांधी जी ने सत्याग्रह चलाया 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इन्होंने करो या मरो का नारा दिया इन्होंने देश में अछूतों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए और इन्हें हरिजन नाम दिया जिसका अर्थ है ईश्वर की संतान 30 जनवरी 1948 को इनका निधन हो गया
Mahatma Gandhi Story:
आज हम एक आजाद भारत में सांस लेते हैं क्योंकि अंग्रेजों से हमें पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस को आजादी मिली थी और दोस्तों देश को आजाद कराने के लिए न जाने कितने ही लोगों ने अपना जीवन तक न्योछावर कर दिया था हलाकि यहां भी आजादी के लिए लड़ने वाले खासकर दो अलग-अलग विचारधाराओं में बटे हुए थे जिनमें से एक तरफ तो वह लोग थे जो कि आज आदमी को अपनी ताकत के दम पर छीनना चाहते थे तो वहीं कुछ लोग शांतिपूर्वक अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आज़ादी हासिल करना चाहते थे
और इन हिंसक वाली लोगों में से एक थी राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी यह देखिए हम सभी आम तौर पर Mahatma Gandhi के नाम से जानते हैं और गांधी जी भारतीय इतिहास की वह व्यक्ति हैं जिन्होंने देश हित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई की है और उन्हें की तरह ही हजारों वीरों की वजह से हमारा देश 1947 में आ जा सकता था तो आज हम भारत के सबसे लोकप्रिय लोगों में से महात्मा गांधी के जीवन के बारे में जानेंगे कि किस तरह से आखिर अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था
तो इस कहानी की शुरुआत होती है 2 अक्टूबर 1872 से जब गुजरात के पोरबंदर शहर में महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतली बाई था हलाकि भले ही गांधी जी पोरबंदर शहर में पैदा हुए थे लेकिन जन्म के कुछ साल बाद ही उनका पूरा परिवार राजकोट में रहने लगा और फिर गांधी जी के शुरुआती पढ़ाई भी वही से हुई थी और दोस्तों नौ साल की उम्र में पहली बार स्कूल जाने वाले गांधी जी शुरू से ही काफी शर्मिले थे और वह बचपन से ही किताबों को अपना दोस्त मानते थे
और फिर आगे चलकर महज 13 साल की उम्र में ही उनकी शादी उनसे एक साल बड़ी लड़के कस्तूरबा से हो गई दरअसल भारत में उस समय शादियां काफी छोटी उम्र में ही हो जाया करती थी हालांकि आगे चलकर जब गांधी जी करीब 15 साल के थे तब उनके पिता क्वेश्चन हो गया और फिर पिता के निधन के एक साल बाद ही गांधी जी की पहली संतान भी हुई लेकिन दुर्भाग्य से जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई थी और इस तरह से गांधी जी के ऊपर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हूं हालांकि इन कठिन परिस्थितियों में भी दादी जी ने खुद को संभाला
और फिर 1887 में अहमदाबाद पैरों में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर आगे चलकर कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद से मौजूद अबे जोशी जी के सलाह पर गांधी जी ने लंदन जाकर लॉ की पढ़ाई की हलाकि 1888 में कांति जी दूसरी बार पिता बने और इसी वजह से उनकी मां नहीं चाहती थी कि वह अपने परिवार को छोड़कर कहीं दूर जाएं लेकिन कैसे भी करके उन्हें अपनी मां को मनाया और फिर चार सितंबर 1888 को लंदन पढ़ाई के लिए वह चले गए और फिर 1898 में पढ़ाई पूरी करके तो अपने वतन भारत वापस आ गए हालांकि विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद भी बारात आने पर उन्हें नौकरी के लिए
काफी भागा कि करनी पड़ी और फिर 1893 में सादा अब्दुल्लाह एंड कंपनी नाम के एक भारतीय कंपनी में नौकरी मिली हालांकि इस नौकरी के लिए उन्हें साउथ अफ्रीका जाना पड़ा था और साउथ अफ्रीका में बिताए गए साल गांधी जी के जीवन के सबसे कठिन समय में से एक था क्योंकि वहां पर उन्हें भेदभाव का काफी सामना करना पड़ा हालांकि इन्हें भेदभाव नहीं उन्हें इतना सक्षम बना दिया कि वह लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते थे और यूं तो गांधी जी का सिर्फ एक साल के लिए ही साउथ अफ्रीका भेजा गया था लेकिन बाहर आ रहा है भारतीयों और आम लोगों के हक के लिए वह अगले 20 साल तक लड़ते रहे
और इसी दौरान उन्होंने नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की थी और अफ्रीका में रहते हुए गांधीजी ने एक निडर सिविल राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में खुद की पहचान बना ली थी और फिर गोपाल कृष्ण गोखले जो कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के एक सीनियर लीडर थे उन्होंने गांधी जी से भारत वापस आकर अपने देश को आजाद करवाने के लिए लोगों की मदद करने की बात कही और फिर इस तरह से 1915 में गांधी जी भारत वापस आ गए और फिर यहां आकर उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन करके भारत की आजादी में अपना सहयोग शुरू कर दिया और भारत के अंदर महज कुछ सालों में ही वह लोगों के चहेते बन गए
और फिर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए उन्होंने भारत के लोगों में एकता की गांठ बांध दी यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को भी एक साथ लाने का काम किया और 1922 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया जिसके तहत अंग्रेजी चीजों का इस्तेमाल भारतीय लोगों ने लगभग बंद कर दिया था और फिर जब या आंदोलन काफी सफल साबित हो रहा था तब Mahatma Gandhi को 1922 में दो सालों के लिए जेल भेज दिया गया हालांकि गांधी जी के जेल जाने पर लोगों के अंदर और भी गुस्सा आ गया जिसकी वजह से पूरा भारत अब एक होने लगा था
और फिर इसी कड़ी में ही मार्च 1934 में दांडी यात्रा को भी अंजाम दिया गया इसमें कि हजार लोगों की गिरफ्तारी हुई और फिर इसी तरह से ही आगे भी दादी जी के नेतृत्व में क्विट इंडिया मूवमेंट की तरह ही कई और भी आंदोलनों को अंजाम दिया जाता रहा और इस दौरान गांधी जी की बहुत बार गिरफ्तारी भी हुई लेकिन Mahatma Gandhi के द्वारा लगाई गई चिंगारी अब लोगों के भीतर आग बन कर जलने लगी थी और यही वजह थी कि गांधी जी के साथ सा बाकी क्रांतिकारियों ने मिलकर 1947 में देश को आजाद कराने में अहम रोल अदा किया और फिर पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस को हमारा भारत देश आजाद हो गया
हालांकि अभी देश के अंदर आजादी का जश्न चली रहा था तभी तीस जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर इस घटना ने न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में ही शौक फैला दिया अलग यह पंद्रह नवंबर 1969 आपको गांधी के हत्यारे नाथूराम को फांसी दे दी गई थी अंत मे बस मैं यही कहना चाहता हूं कि जब तक गांधी जी जीवित रहे तब महिला को ही हर चीज का जवाब मानते रहे और इसी सिद्धांत के दम पर ही उन्होंने अपनी पहचान बनाई अलग यह भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी सीख और उनके सिद्धांत आज भी पूरी दुनिया मानती है
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🕊️ महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत नेताओं का राजघाट पर समर्पण कार्यक्रम होगा। यह दिन महात्मा गांधी, देश के पिता की मृत्यु दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अहिंसा और गृह-असहमति के सिद्धांतों ने दुनियाभर के लोगों को प्रेरित किया है। महात्मा गांधी का सफर पोरबंदर, गुजरात, से लेकर उनके भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण सत्याग्रह और डैंडी मार्च जैसे महत्वपूर्ण कदमों तक अहिंसात्मक संघर्ष की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। आज, जब देश बापू को याद कर रहा है, तो हमें उनकी अटल विरासत और बिना हिंसा के साधने के प्रति उनका समर्पण सलाम करना है। 🇮🇳🙏 #महात्मा_गांधी #पुण्यतिथि